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The book release was in 2014, in a grand event attended by around 200+ audience.

The event was well covered by media.

 

 

इस पुस्तक में दस थाटों के दस आश्रय रागों के साथ दस उत्पन्न रागों के लिए एक नया प्रयोग प्रस्तुत किया है जो शिक्षार्थियों के लिए अत्यन्त लाभकारी होगा तथा अच्छे अभ्यास के द्वारा सफल कलाकार बनने की कामना भी पूर्ण होगी।


इस पुस्तक के द्वारा गायन एवं वादन दोनों विषयों पर शिक्षा ग्रहण की जा सकती है।

साधना के फूल  : ISBN 978-93-5156-600-7

 

इस पुस्तक में यही बताया गया है कि राग का सम्पूर्ण विस्तार श्रृंगार करने के लिए क्या-क्या रास्ते
अपनाये जाते हैं और उन्ही रास्तों के द्वारा किस प्रकार दूसरे रागों का विस्तार श्रृंगार किया जा सकता है।
वैसे तो गुणीजनों द्वारा बाईस श्रुतियों का अविस्कार माना गया है जिनमें से बारह श्रुतियों को लेकर संगीत
का संसार रचा गया है। बारह स्वरों का ये समूह हमारे लिए दिव्य दृष्टि का प्रतिबिम्ब है जिसके प्रत्येक
अंग को हम अपने राग रागनियों के आभूषणों से संजोते है।

पंडित निरंजन प्रसाद द्वारा उनके गुरु स्व. भोलानाथ प्रसन्ना एवं गुरु माँ को समर्पित पंडित निरंजन प्रसाद द्वारा उनके गुरु स्व. भोलानाथ प्रसन्ना एवं गुरु माँ को समर्पित

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